शरम से मेरा चेहरा पूरा लाल पड़ चुका था। मेरी सांसें काबू में नहीं थीं। कुछ देर तक मैं अपनी आँखें बंद कर खामोश बैठी रही। फिर थोड़ी हिम्मत जुटाकर अगले ही पल मैंने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं, और उन तस्वीरों की तरफ एकटक देखने लगी। ऐसा पहली बार था, जब मैंने किसी पुरुष को इस हाल में देखा था। मेरी नजर बार-बार उसके शरीर पर जा रही थी। कुछ सोचकर एक बार फिर से मेरा चेहरा शरम से लाल पड़ चुका था।